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नारी : बिजेन्दर बाबू

भोजपुरी रोजाना 0

                                नारी

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बेटी कबो बहिना बनके, 
जग के इ बाग सजावेली।
पत्नी त कबो नारी बनके, 
घर के इ स्वर्ग बनावेली।।

भारत के इतिहास करेला 
महिमा के गुणगान।
राम रहीम नानक भी कइलें, 
नारी  के सम्मान।।

कभी दुर्गा कभी काली बन, 
दुष्टन के नाश करेली।
सीता त कबो सावित्री बन, 
जग के इ ताप हरेली।।

देवी के हर रूप में नारी, 
सगरो इनकर सम्मान बा।
जहाँ पुजाली नारी सुनल, 
उहे जगह महान बा।।

तोड़ मत एकरा सपना के, 
आगे बढ़ते जाये दऽ।
रोकऽ मत अब बढ़े द आगे, 
हर सिढ़ी चढ़ जाये दऽ।।

बेटा जे ना कर पाने 
उ बेटी कर दिखलावे।
हर युग में इ लउकेला, 
इहो इतिहास बनावे।।

राम जवन ना कर पालन 
उ सीता कर दिखलइली।
पूरा सृष्टी त्राह भइल, 
तबाही दुर्गा जी अइली।।

कलयुग में भी कम निकले, 
सुन लऽ नारिन के करनी।
सगरो नया मुकाम बनावस, 
बात कहाँ ले बरनी।।

मदर टेरेसा लता के बाबू, 
सबसे अलग कहानी।
इन्दिरा, कल्पना, पाटिल के बाटे, 
सगरो नाम जूबानी।।

इनकर इच्छा समझ के बाबू, 
अपना पर उपकार करऽ।
खोलऽ इनका पाँव के बेड़ी, 
स्वाभिमान स्वीकार कर ऽ।।

सोना-चानी के गहना 
ना हो इनकर सिंगार।
विद्या के आभूषण देके, 
द नव जीवन हार।
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रचना 
बिजेन्द्र कुमार तिवारी
बिजेंदर बाबू
संपादक
भोजपुरी रोजाना
पता : गैरतपुर, मांझी
         सारण, बिहार
         मोबाइल नंबर:- 7250299200


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