कावना बने रहलू हो कोइलर...
अश्लील गीतन के घुसपैठ भोजपुरी संस्कृति खातिर अशुभ
✍️बिजेंद्र कुमार तिवारी (बिजेंद्र बाबू)
'विवाह' मानव के 16 संस्कारन में से एगो पवित्र संस्कार हऽ। पूरा संस्कार लोकगीतन का रस में भींगल बा। मटकोड़ जइसन पवित्र परम्परा में अश्लील गीतन के घुसपैठ भोजपुरी संस्कृति खातिर शुभ संकेत नइखे। आईं देखल जाव एकर वास्तविक रूप।
तिलक का बाद अउर बारात के एक या दू दिन पहिले, शुभ मुहूर्त में मटकोर के विधान तमाम भोजपुरिया क्षेत्र में बा। मटकोड़ माता धरती से याचना करे के एगो विधान हऽ, जावना में माई बहिन मिलके माता धरती से वर-वधु के सुखमय वैवाहिक जीवन खातिर प्रार्थना करेली। साथ ही इ वर मंगेली कि जइसे सुख गइला का बाद भी दूभ पानी पड़ते हरियर हो जाला, ओही तरी दूल्हा-दुल्हिन के प्रेम केतनो विपत्ति आवे लेकिन एक दूसरा से मिलते हरियर हो जाय।
मटकोर भोजपुरिया संस्कृति के अइसन पवित्र विधान हऽ, जावना के घर के माई बहिन उमंग में झूमत गावत पूरा करेली। उ सब लोग सजधज के गांव से दूर ओह दिशा में निकलेली जवना दिशा से बारात जला भा आवेला। घर से निकलत समय गावेली:-
कावना बने रहलू हो कोइलर कावना बने जास...
केकरा दुवारवा हो कोइलर उछहली जास....
रने बने रहलू हो कोइलर, बिरदा बने जास
कवने बाबा दुआरवा कोइलर उछहली जास
यानी एक घर के बेटी से, दूसरका घर के बहू बने तक के इशारा, भोजपुरिया संस्कृति के एह लोकगीत में बा।
केकरा घर के लाली दउरवा केकरा घर के कुदार
केकरा घर के पतरी तिरियवा माटी कोड़े जास.......
डोमावा घर के लाली दउरवा लोहारा घर के कुदार
कवने घर के पतरी तिरियवा माटी कोड़े जास.......
कवने के जगह औरत अपना-अपना घर के पुरुष सदस्य के नाम रखेली।
एह तरह के मांगलिक गीत गावत ओह जगह पर पहुंचेली जहांँ हरिहर दूभ उपजल होखे। उहांँ माता धरती के विधिवत पूजन करत गावेली:-
केकर हउवे माटिखानावा भलू माटी, ए सोहाग के माटी.....
ए माटी रउआ बिना जग ना होला, ए सोहाग के माटी...
माटी के उर्वरता जइसन दूलहा-दुलहिन के जीवन में रस भरल रहो अउर हरियर दूभ जइसन प्रेम बनल रहो। माटी अउर कुदाल पूजला के बाद गावेली:-
कहांँवा के पियर माटी कहांँ के कुदार हे
कहांँवा के पांच सोहागिन, माटी कोडे़ जास हे...
छपरा के पियर माटी, पटना के कुदाल हे
...... के पांच सुहागिन माटी कोड़े जास हे
माटी कोड़त समय हंसी मजाक भरल गारी भी गावेली। विधि पूरा भइला के बाद चना बँटला।
लौटत समय खुशी में झूमत, झूमर गावत चलेली:-
बहे के पुरुआ रामऽ बह गइले पछुआ साजानवा रे..,
बह गइले शीतल बेयार, मोर साजानवा रे......
काहवाँ में राम जी के जनम भयो हरि झुमरी...
अब कहांँवा में बाजेला बाधावऽ खेलब हरि झूमरी....
अजोधा में राम जी के जनम भयो हरि झूमरी....
अब मिथिला में बाजेला बाधावऽ
खेलब हरि झूमरी....
एह तरह से झूमत गावत महिला लोग घर आवेली। उ माटी कलसा तर रखाला अउर हरदी चढ़ावे के तइयारी होला।
आज घर से निकलत हिन्दी अउर भोजपुरी के अश्लील गीतन पर नाचत घर के बहू बेटी माटी कोड़े जा तारी। हमनी के शुद्ध भोजपुरी लोकगीत डी.जे. के शोर में दब जाता। हमनी के उत्कृष्ट भोजपुरी परंपरा में, अश्लील गीतन के बढ़त घुसपैठ गम्भीर चिंता के विषय बा। ई हमनी के शुद्ध भोजपुरिया संस्कृति के हर तरफ से दूषित कर रहल बा।
आईं, हमनी मिलके समाज में माई-बहिन के जगावल जाय। अश्लील गीतन के खिलाफ अभियान चलाके आपना भोजपुरी लोकगीतन के प्रति जागरूक कइल जाय। ना तऽ आवे वाला पिढ़ी हमनी के कबो माफ ना करी।
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| ✍🏻बिजेन्द्र कुमार तिवारी, गैरतपुर, (सारण) 7250299200 |


