गँउवा के याद में
✍️प्रिया पाण्डेय "रोशनी"
पियाजी हमार अँखिया लोर से भर जाता,
गउवा के याद में छलक -छलक जाता,
याद आवता,
पीपल क ऊ पेड़वा,
ऊ मंदिरवा,
ऊ पोखरवा,
कच्चा आम के टीकोरवा खात रहली......
जेठ की ऊ भरल गर्मीया,
कच्चा गलीयन में दौड़त रहली,
सावन क ऊ झूला,
तेज बरखा में भीग -भीग के,
जात रहली मंदिर भोला बाबा के पूजा करें,
ह पियाजी,
हमार अँखिया लोर से भर जाता,
गऊवा के याद में छलक-छलक जाता,
तू काहे भइल बेदर्दी,
गऊवा लऊटे क नाम न ले ला,
जेठवा के ऊ गर्मी,
जाड़ा के ऊ ठिठुरन याद ह आवे,
एहिजा के AC ना भावे,
एहिजा के बंद कमरा खा जावे,
तोहके भावे परदेस रे,
हमके भावे गाँव रे,
पियाजी हमार अँखिया लोर से भर जाता,
गऊवा के याद में छलक -छलक जाता
छलक-छलक जाता।
✍️प्रिया पाण्डेय "रोशनी" (हुगली)

