शराब
✍️ बिजेन्द्र कुमार तिवारी
बड़ा प्यार से काबू कइलस, सादर नेह लगाई
सच्चा नेह लगा के लिहलस आपन हमें बनाई
दूर हटीं तऽ देखत भइया, हमके पास बोलावेले
साथ छोड़ी तऽ नियत समय पर, सुन लीं रोज मनावेले
मेहरारू से नीक बुझाले कइसे कहीं खराब
हम छोड़ीं पर साथ छोड़े, कबहूँ सुनीं शराब
ब्रेकअप हो इंसान से भइया, झट से हाथ छोड़ावे
लेकिन दारू डेग-डेग पर, चूमके होठ मनावे
खेती-बाड़ी बेंच के भइया एके गले लगवनी
मेहरारू से दुश्मन बनके एके हम अपनइनी
इ हमार दुनिया बा अब दुनिया से टूटल नाता
अन्त समय तक साथ निभाई, हमके इहे बुझाता
एह जिनगी में एकर हमसे साथ कबो ना छूटी
साँस के डोरी टूटी तहिये एहसे नाता टूटी
एकरे फेरा में भइनी तन-मन-धन से बरबाद
रिस्ता-नाता साथ-संघत भी, भइल ना आबाद
सुन बिजेन्दर एह साथी से कबो ना नाता जोड़िह
इ सब कुछ बरबाद करेला रिस्ता एह से तोड़िह

✍️ बिजेन्द्र कुमार तिवारी (बिजेन्दर बाबू)
गैरतपुर, मांझी, सारण, बिहार
7250299200
