मनभावन कातिक मास!
✍️ बिजेन्द्र कुमार तिवारी
सरस सुहावन पावन बा, मनभावन कातिक मास।
ना ठंढी बा हाड़ कँपावत, ना गर्मी के त्रास।।
ई दियरि के दीप ह भइया जगमग जोत जरावे
दानवता के नाश करे ई धर्म ध्वजा फहरावे
इ गोधन के मधुर गीत जे सबका मन के भावे
कूटत गोधन गाँव नगर में, शुभ शुभ लगन जगावे
ई बहिन के बजड़ी भइया, ह भाई के नेग।
सुखद प्रेम के झोका बड़ूवे, मंद पवन के बेग
समरसता के पावन छठ, अक्षय नवमी भोज
देवठन एकादशी के परब, जवन बढ़ावे ओज
देव दिवाली हऽ पूनम के, गुरु पर्व पहचान
तीरथ धाम जगावे अउरी, सगरो होत नहान
हवे मास इ उत्तम बाबू, सेहत सदा बढ़ावे।
काटे फसल किसान आ गाँव नगर में लगन जगावे
✍️बिजेन्द्र कुमार तिवारी
बिजेन्दर बाबू
गैरतपुर, मांझी
सारण, बिहार
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