निमन रहे डाँड़ार के रहिया, निमन आपन गाँव।
निमन रहे डाँड़ार के रहिया, निमन आपन गाँव।
नीक रहे खादर के खेती, अमराई के छाँव।।
कहाँ गइल सब भाव पुरनका, कहाँ गइल उ चाह
कहाँ गइल उ साहस जे, काँटन में खोजे राह
कहाँ कहानी दादी-नानी के, बाबा दादा के प्यार
मिलत नइखे कहीं पुरनका, अब रस भरल दुलार
सिमटल जाता रिस्ता नाता, सिमटत कुल व्यवहार बा
शहरीकरण के होड़ में सिमटत, देखीं घर परिवार बा
आँगन के चूल्हा-चउका साथे, लूटल दुआर के घुरा
दादी-नानी चाचा-चाची के, लूटल परिवार बा पूरा
चीका कबड्डी गुली-डंटा जस, कई गो खेल बा लूटल
बरगद के सब डाढ़ कटल, विश्वास के डोरी टूटल
साँझ के संझा लूटल भइया, भोर के लूटल पाराति
मेल-मिलाप के परब लूटल, सब पुरखन के थाती
समरसता के फगुआ लूटल, उ हुड़दंगी होली
टोला पड़ोसा गाँव नगर के, प्यार भरल उ बोली
लूट रहल बा अभियो भइया भोजपुरी संस्कार
बूढ़ बुजुर्ग के सेवा अउरी उतम कुल व्यवहार
सुनऽ बिजेन्दर समरसता से अब समाज के जोड़ऽ
तोड़े जवन समाज के पचड़ा, आगे बढ़ के तोड़ऽ
*************
बिजेन्द्र कुमार तिवारी (बिजेन्दर बाबू)
गैरतपुर, माँझी,सारण, बिहार
मोबाइल नंबर: 7250299200
