ढ़ेरों बिटोराइल गइल बा प्यार : अजय सिंह 'अजनवी'
बइठलें बईठलें सोचत रहनी
की मनवा कहलस सब बाँट द
ढ़ेरों बिटोराइल गइल बा प्यार ।
तब दिल से आवाज आइल
ना अइसन गलती मत करीह
पहिलें सबका के परख लिह।
के के एकरा काबिल बा
दुनिया त बहुते स्वार्थी बा
सबलोग स्वार्थ से भरल बा ।
इहवाँ लोग खाकें
छिपा पलट देवे ला ,
एतना सुन के मन घबराइल ,
सोचे खातिर मनवा बैचन हो
गइल।
फेरूं हम सोचें लगनी शायद ,
मनवा ठीके कहत होई पर,
दिलवा इहें उधेर बुन में पड़ल ,
रह गइल की अब करल का जाव
अतना बिटोराइल बा ई प्यार ।
अन्त में फेरूं हम सोचनी कि
कुछुओं बतला से आउर बढ़ेला,
यहीं खातिर कुछु होखे अब
चाहें जे भेटाई सबका के बाँटल
बांटते चलम ई अब ई प्यार।
★★★★★★★★★★★★★
■ अजय सिंह अजनवी
छपरा बिहार


