बिहार के छपरा जिले के प्रतिष्ठित कवि और शिक्षक बिजेंद्र कुमार तिवारी उर्फ बिजेन्दर बाबू अपने मृदु भाषा भोजपुरी में समसामयिक विषय पर बखूबी आपन सरल शब्दन में रचना गढ़ीला। इहाँ के कौनो कार्यक्रम होए ओहमें सक्रिय भागीदारी जरूर रहेला। विजेंदर बाबू के भोजपुरी आउर हिंदी भाषा के रचना हर जगह सम्मान पइले बा । आज उहाँ के नारी के बारे में कुछ कहे के चाहत बानी त चली समझल जाव उहाँ के भाव की का कहे के चाहत बानी।
★ सत् नारी से नेह लगाईं, कुल्टा से मुंह मोड़ीं ★
सज्जन से मत उलझीं भइया, दुर्जन के मत छोड़ीं
सत् नारी से नेह लगाईं, कुल्टा से मुंह मोड़ीं
दुर्जन दाँव भिरावे हरदम,कुल्टा कुल के बोरे
रउआ हरदम कुहुकत रहब, भर-भर आँखी लोरे
बस एकनी से राखब दूरी, कहीं दसो नोह जोड़ी
सत् नारी से नेह लगाईं, कुल्टा से मुख मोड़ी
सज्जन साथ निभावे, सतनारी भी देवे साथ
सुख हो, चाहे दुख हो भइया, थामें हरदम हाथ
एह दूनों के साथ निभाईं, नफरत के गर फोड़ीं
सत् नारी से नेह लगाईं कुल्टा से मुख मोड़ीं
कहस बिजेंदर साथ अधम के होत बड़ा दुखदाई
प्रेम करीं भा नफरत कतहूँ बाटे नाहीं भलाई
इ दूनों जिनगि के सुख में, रहस बनके रोड़ी
सत् नारी से नेह लगाईं कुल्टा से मुख मोड़ीं
■ बिजेन्द्र कुमार तिवारी
बिजेंदर बाबू
संपादक (साहित्य) - भोजपुरी रोजाना
