** जमाना **
अजय सिंह अजनवी
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कतना बदल गइल जमाना
इहवाँ आपन कोई नइखे
बस सब झूठ के बा फसाना
जिनगी भर हाय हाय कइनी
बड़ा जतन पढ़इनी लिखइनी
जिनगी के रेस में पीछा मत
रहस येही से सब कुछ कइनी
पर ई का जब आइल बुढापा
सब के सब दूर हो गइलन
जिनगी भर आपन ना सोचनी
सब कुछ मिलल लुटा देह इनी
इहें जमाना बा अब अजनवी
अब त स्वीकार कर ल तू
सब अब बहुत दूर हो गइलन
अब फिर कहूं लौट के ना आई
जबले बा जिनगी बिता ल तू
काहें की जमाना के दस्तूर बा
जमाना अब बदल गइल बा
जतना जल्दी होखें स्वीकार
कर ल तू ?स्वीकर तू?
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रचना: अजय सिंह अजनवी, छपरा