सवनवा अजबे आग लगावे...
✍🏻बिजेन्द्र कुमार तिवारी
सवनवा अजबे आग लगावे...
बिन प्रियतम के हिय भितरिया
हुक उठे कुहुकावे...
सवनवा अजबे आग लगावे...
रिमझिम बदरा बरसे मेघा
गरज गरज डेरवावे
मोर पपीहा के बोलिया अब,
मोहे तनिक ना भावे
मन मदहोश करे सजना के, सूतल नेह जगावे
सवनवा अजबे आग लगावे....
हरियाली हहरावे पवनवा...
सरस जगावे आगी ..
सुखद-सुहावन सुखमय मौसम
बा सावन अनुरागी..
बिन प्रियतम कुछ नीक ना लागे
सुघर मन बहकावे
सवनवा अजबे आग लगावे...
सवख-सिंगार सरस शुभ मौसम
नीरस लगे ना भावे...
बिन साजन सेजिया के सुखवा
कइसे कहाँ कोई पावे...
बाबू बिजेन्दर मन बिरहन के
आह भरे भटकावे.....
सजनवा अजबे आग लगावे....
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✍🏻बिजेन्द्र कुमार तिवारी (बिजेन्दर बाबू) 7250299200 |