भोजपुरी साहित्य
अइसे में कइसे.......?
भोजपुरी रोजाना
जन के ना बात बुझे, अइसन बड़ुवे तंत्र,
अइसे में कइसे काहाई जनतंत्र...
पढ़ल बेरोजगार भइलें, भईल किसान बेहाल
दुखिया अउर गरीब के भइया, देखीं कवन हाल,
सगरो लूट के छूट मिलल बा, मरलस कवन मंत्र..
अइसे में कइसे काहाई जनतंत्र.....
महंगाई के मार से देखीं, जनता भइल तबाह,
इज्जत से जिनगी जिये के, लउकत नइखे राह
मंत्री करे मनमानी जइसे होखे परतंत्र
अइसे में कइसे काहाई जनतंत्र.....
जाती अउरी क्षेत्रवाद के छोड़ीं तनीं गुमान
नेक नीयत से, सोच समझ के,करीं अब मतदान
इहे बड़ुवे, ठीक करे के, सबसे निमन यंत्र
अइसे में कइसे काहाई जनतंत्र....
कहस बिजेन्दर हरदम रउआ सोच के बटन दबाईं
आपना से भारत माई के करजा आप चुकाईं
ना तऽ होई दुर्दासा जइसे होखे परतंत्र
अइसे में कइसे काहाई जनतंत्र.....
रचना
बिजेन्द्र कुमार तिवारी
(बिजेन्दर बाबू)
गैरतपुर, सारण, बिहार
मोबाइल नंबर:- 7250299200